Friday, March 23, 2012
Wednesday, March 21, 2012
जो तुम होते ..................
जीवन में बहुत सी घटनाए ऐसी होतीं हैं, जिस पर हम सब का कोर्इ भी जोर नहीं चलता और न ही वो हमारे लिए सकारात्मक होती है। ऐसी सिथति में मन को सिर्फ सांत्वना ही देना होता है, किसी न किसी बहाने। उसके सिवाय कोर्इ और रास्ता भी नहीं होता है पास। क्योंकि मात्र इसी रास्ते से मन को राहत रहती है।
कितना अच्छा होता, जो तुम होते,
वक़्त हमारा होता, जो तुम होते।
वक़्त हमारा होता, जो तुम होते।
रिमझिम बूदें और बरसतीं फिर,
सावन पगलाया होता, जो तुम होते।
सासों और धड़कन में होती जंग बहुत,
ख़्वाब मुस्कराता होता, जो तुम होते।
बेहाल न होता किसी हाल में दिल,
दर्द बेकल न होता, जो तुम होते।
न वक़्त ठहरता, न ही हम हमदम,
जीवन चलता होता, जो तुम होते।
तुम न आए तो बदल गया ''उन्मत्त'',
मैं मैं ही रहा होता, जो तुम होते।
''उन्मत्त''
Thursday, March 8, 2012
फिर आयी होली........................
होली है!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!होली है
फिर आयी है होली, वही नशा, वही खुमारी, वही जोश, जो हमेशा से रहा है और यकीनन रहेगा भी। होली के दिन शरारतें करने का जी फिर से करने लगता है और करना भी चाहिए। होली हो और शरारत न हो, ये ज़रा अटपटा है, क्योंकि अगली होली तक यही शरारतें ही याद आती हैं और फिर अगली होली तक यानि हमेशा होली में और होली के बाद शरारतों को ही याद रखा जाता है।
तो जम कर खेलिए होली, जम कर करिए शरारत, बशर्ते आपकी शरारत से किसी का दिल न दुखे।
जम कर खाइए होली के पकवान और जम कर खिलाइए।
होली है!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!होली है
आयी है होली फिर,
आएगें होरियारे फिर,
आ गया है फागुन फिर,
आएगें रंगों के फौव्वारे फिर।
भाग रहा है हमसे कोर्इ,
भगा रहा है हमको कोर्इ,
छिप रहा है हमसे कोर्इ
छिपा रहा है हमको कोर्इ
झूम रहें हैं सब मस्ती में,
भीग रहे हैं सब रंगों में,
कुछ डूबे हुए हैं भंगों में,
कुछ रंगें है रंगीले रंगों में।
सबकी अपनी होली है,
सबकी अपनी टोली है
सबने नफ़रत भूली है
खुली ये फागुल की झोली है।
आओ - आओ तुम भी आओ,
खुशियों की बयारों में खो जाओ,
खुशी बिखेरो, खुशिया पाओ,
खुला है 'उन्मत्त तुम भी खुल जाओ।
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