Thursday, March 8, 2012

फिर आयी होली........................


 होली है!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!होली है

फिर आयी है होली, वही नशा, वही खुमारी, वही जोश, जो हमेशा से रहा है और यकीनन रहेगा भी। होली के दिन शरारतें करने का जी फिर से करने लगता है और करना भी चाहिए। होली हो और शरारत न हो, ये ज़रा अटपटा है, क्योंकि अगली होली तक यही शरारतें ही याद आती हैं और फिर अगली होली तक यानि हमेशा होली में और होली के बाद शरारतों को ही याद रखा जाता है
तो जम कर खेलिए होली, जम कर करिए शरारत, बशर्ते आपकी शरारत से किसी का दिल न दुखे।
जम कर खाइए होली के पकवान और जम कर खिलाइए।

   होली है!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!होली है



आयी है होली फिर,
आएगें होरियारे फिर,
आ गया है फागुन फिर,
आएगें रंगों के फौव्वारे फिर।

भाग रहा है हमसे कोर्इ,
भगा रहा है हमको कोर्इ,
छिप रहा है हमसे कोर्इ
छिपा रहा है हमको कोर्इ

झूम रहें हैं सब मस्ती में,
भीग रहे हैं सब रंगों में,
कुछ डूबे हुए हैं भंगों में,
कुछ रंगें है रंगीले रंगों में।

सबकी अपनी होली है,
सबकी अपनी टोली है
सबने नफ़रत भूली है
खुली ये फागुल की झोली है।

आओ - आओ तुम भी आओ,
खुशियों की बयारों में खो जाओ,
खुशी बिखेरो, खुशिया पाओ,
खुला है 'उन्मत्त तुम भी खुल जाओ।

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