Sunday, February 21, 2010

रुपेश शर्मा

जीवन में बहुत से व्यक्ति ऐसे होते हैं जो भले ही कम साथ होते हों, लेकिन उनकी उपस्थिति हमेशा से ही गौरव का विषय होती है, इसी क्रम में हमारे एक अन्य मित्र हैं रुपेश शर्मा। उनका भी साथ कक्षा से ही है, लेकिन वक़्त की आपा-धापी में उनसे मुलाकातें के ही बराबर होती हैं, लेकिन सिर्फ इस कारण हमारे सम्बन्धों में और आत्मीयता में कभी कोई कमी नहीं आयी है। सन् 1993 से हमारा और उनका साथ है। उम्र का एक हिस्सा उनकी दोस्ती के साथ का है।

समय का खेल ऐसा रहा कि उनके विवाह में हम शामिल हो सके, उससे भी बढ़कर यह बुरा लगता है कि उनको गये साल पुत्र रत्न की प्राप्ति हुयी, उसके बाद भी मिल सके हम उनसे। अच्छे दोस्त होने का कम से कम इतना फायदा होता है कि, वह हर बात और परिस्थितियों को समझता है और शिकायत कभी नहीं करता है। ऐसा ही हमारे मित्र ने भी किया है, उन्होनें अच्छे मित्र होने का पूरा आभास कराया है।

अजब है ही यह कि उनसे मुलाकातें बहुत ही कम होती है, लेकिन इसका तनिक भी प्रभाव हमारे सम्बन्धों पर नहीं हैं आज भी उनसे ही वही मित्रवत् प्रेम और अपनापन है।

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