जीवन की आपा-धापी में काफी समय तक सबसे दूर चला गया था, कुछ समय का आभाव था, कुछ तकनीकि का भी आभाव हुआ। नव वर्ष की पूर्व संध्या पर ही हमने गॉव चले गये, जहॉ इंटरनेट की सुविधा मौजूद नहीं है। है भी तो बाज़ार में, जहॉ जाकर इतना समय देने का हमारा मन नहीं किया। घर में बैठकर आराम से अपनी दुनिया में रहना ज्यादा बेहतर लगता है हमको, इसके मुकाबले की हम किसी कैफे में जाकर काम करें।
आज सिर्फ क्षमा मॉगने ही आए हैं हम। किसी और दिन किसी विषय के साथ उपस्थित होगें।
आज सिर्फ क्षमा मॉगने ही आए हैं हम। किसी और दिन किसी विषय के साथ उपस्थित होगें।
1 comment:
wah.narayan narayan
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