आयने ते परायणे दुर्वा रोहन्तु पुष्पिणीः ।
हृदाष्च पुण्डरीकाणि समुदस्य गृहा इमे ।।
हृदाष्च पुण्डरीकाणि समुदस्य गृहा इमे ।।
ऋग्वेद - 18/30/16
अर्थात्
आपके मार्ग प्रशस्त हों,
उन पर पुष्प हों, नयी कोमल दूब हों,
आपके उद्यम व आपके प्रयास सफल हों,
सुखदायी हों और आपके जीवन सरोवर में
मन को प्रफुल्लित करने वाले कमल खिलें हों।
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये, इस आशय और अटल विश्वाश के साथ कि, इस नव वर्ष में आपकी प्रत्येक इच्छा, प्रत्येक स्वप्न, प्रत्येक कामनाओं की पूर्ति जल्द से जल्द हो।
जीवन के किसी भी मोड़ पर, कभी भी किसी भी मुश्किल से आपका सामना न हो।
जीवन के प्रत्येक क्षण में, आपके चेहरे पर विजय की मुस्कान और माथे पर विजयश्री का तिलक सदैव ही जगमगाता रहे।
जीवन के किसी भी मोड़ पर, कभी भी किसी भी मुश्किल से आपका सामना न हो।
जीवन के प्रत्येक क्षण में, आपके चेहरे पर विजय की मुस्कान और माथे पर विजयश्री का तिलक सदैव ही जगमगाता रहे।
1 comment:
आपको भी नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ।
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